पुख़्तगी | Maturity

तरबियत बगिया और फूल
ज़िन्दगी राहें और धूल

तेरा लिखा कायदा-ऐ-अमल
मेरा चाहा सब फ़िज़ूल

कड़वे, पर तासीर मुफीद
तज़ुर्बे सारे नीम बबूल

पहली ग़लती काबिल-ऐ-मुआफ
दोहराई ना जाये कोई भूल

तेरी मर्ज़ी सर आँखों पर
गिले, बेरुख़ी, ख़ता क़ुबूल

अनहद की ज़द से ग़ाफ़िल
महदूद से दीनी मामूल


तरबियत = Upbringing 
कायदा-ऐ-अमल = rules to play by 
मुफीद = Beneficial 
ग़ाफ़िल = Oblivious 



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