चलो माना मोहब्बत ना करें हम
तो दिल-अफ़्रोज़ी की ख़ातिर क्या करें हम
तो दिल-अफ़्रोज़ी की ख़ातिर क्या करें हम
हो सुबेह और निकलें दफ्तरों को?
ढले दिन और रुख घर का करें हम?
करें क्या चांदनी रातों की जगमग
स्याह बादल जो बरसें, क्या करें हम
फ़क़त क्या तल्ख़ सियासी तब्सरों पर
हर्फ़कारी का फ़न ज़ाया करें हम
ना-वाक़िफ़-ऐ-लुत्फ़-ऐ-हुसन थे, भले थे
इस तीर-ऐ-नीमकश का क्या करें हम
अब इसके बाद ज़िक्र आता है उसका
मुनासिब है ख़त्म किस्सा करें हम
दिल-अफ़्रोज़ी = To brighten the heart
ना-वाक़िफ़-ऐ-लुत्फ़-ऐ-हुसन = Unaware of the pleasures of beauty
हर्फ़कारी = Art of writing
ढले दिन और रुख घर का करें हम?
करें क्या चांदनी रातों की जगमग
स्याह बादल जो बरसें, क्या करें हम
फ़क़त क्या तल्ख़ सियासी तब्सरों पर
हर्फ़कारी का फ़न ज़ाया करें हम
ना-वाक़िफ़-ऐ-लुत्फ़-ऐ-हुसन थे, भले थे
इस तीर-ऐ-नीमकश का क्या करें हम
अब इसके बाद ज़िक्र आता है उसका
मुनासिब है ख़त्म किस्सा करें हम
दिल-अफ़्रोज़ी = To brighten the heart
ना-वाक़िफ़-ऐ-लुत्फ़-ऐ-हुसन = Unaware of the pleasures of beauty
हर्फ़कारी = Art of writing
© Copyright @ Taran 2023
Comments
Post a Comment