ख़ुश्बू | Fragrance


इक ख़ुश्बू की तरह मिलती हो
और इतनी मुख़्तसर,
के ना समझ पाता हूँ
ना ही जी पाता हूँ तुम्हे

और ना रख पाता हूँ
संजो के अपने पास
उम्र भर के लिए

बस इक एहसास छोड़ जाती हो
के ज़ेहन तलाश में रहे, उसकी
जिस ख़ुश्बू की तरह मिलती हो




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